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रक्षा क्षेत्र में आत्मनिर्भरता भारत की वैश्विक प्रतिष्ठा को मजबूती देगी: मोदी

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रक्षा क्षेत्र में आत्मनिर्भरता भारत की वैश्विक प्रतिष्ठा को मजबूती देगी: मोदी

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बृहस्पतिवार को कहा कि केंद्र सरकार का ‘‘आत्मनिर्भर भारत’’ का संकल्प आत्मकेंद्रित नहीं है, बल्कि भारत को सक्षम बनाने और वैश्विक शांति तथा अर्थव्यवस्था को अधिक स्थिर करने में मदद करने के लिए है। रक्षा क्षेत्र में भारत को आत्मनिर्भर बनाने पर आयोजित एक डिजिटल कार्यक्रम को संबोधित करते हुए मोदी ने कहा कि रक्षा क्षेत्र में आत्मनिर्भरता हिंद महासागर में संपूर्ण सुरक्षा प्रदाता के रूप में भारत की क्षमता को भी बढ़ाएगी और उसे रणनीतिक साझेदारी वाले मित्र राष्ट्रों को रक्षा आपूर्ति करने वाला देश भी बनाएगी। उन्होंने कहा, ‘‘आत्‍मनिर्भर भारत का हमारा संकल्‍प आत्मकेंद्रित नहीं है। वैश्विक अर्थव्यवस्था को ज्‍यादा लचीली, ज्‍यादा स्थिर बनाने के लिए, विश्‍व में शांति के लिए एक सक्षम भारत का निर्माण ही इसका लक्ष्‍य है।’’ मोदी ने कहा कि यही भावना रक्षा उत्पादन में आत्‍मनिर्भरता के लिए भी है। भारत में अपने कई मित्र देशों के लिए रक्षा उपकरणों का एक भरोसेमंद आपूर्तिकर्ता बनने की क्षमता है। उन्होंने कहा, ‘‘इससे भारत की सामरिक साझेदारी को और बल मिलेगा और हिंद महासागर क्षेत्र में भारत की संपूर्ण सुरक्षा प्रदाता की भूमिका और अधिक सुदृढ़ होगी।’’ ‘‘आत्‍मनिर्भर भारत’’ के संकल्‍प को लेकर सरकार के प्रयासों और प्रतिबद्धता का जिक्र करते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि निजी क्षेत्र हों या सरकारी या विदेशी भागीदार, सभी के लिए आत्मनिर्भर भारत महत्वपूर्ण संकल्प है। उन्होंने कहा, ‘‘इसके लिए आपको एक बेहतर पारिस्थितिकी तंत्र देने के लिए हमारी सरकार प्रतिबद्ध है।’’ निजी रक्षा उत्पादन कंपनियों को लुभाने के प्रयास के तहत प्रधानमंत्री ने कहा कि भारतीय रक्षा उद्योग को मजबूती प्रदान करने के उद्देश्य से न सिर्फ कुछ रक्षा उपकरणों पर आयात प्रतिबंध लगाए गए हैं बल्कि घरेलू उद्योग को बढ़ावा देने, नई प्रौद्योगिकी के विकास और रक्षा क्षेत्र में निजी कंपनियों को बड़ी भूमिका देने के लिये प्रयास भी किये जा रहे हैं।

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उन्होंने कहा, ‘‘हाल में आपने देखा होगा कि 101 रक्षा वस्तुओं को पूरी तरह से घरेलू खरीद के लिए सुरक्षित कर दिया गया है। आने वाले दिनों में इस सूची को और व्‍यापक बनाया जाएगा। इसमें और वस्तु जुड़ती रहेंगी। इसका उद्देश्‍य आयात को रोकना मात्र नहीं है, बल्कि भारत में उद्योगों को प्रोत्‍साहित करने के लिए ये कदम उठाया गया है।’’ मोदी ने कहा कि पिछले दिनों श्रम कानूनों में सुधार का जो सिलसिला शुरू हुआ था, वह लगातार चल रहा है। कुछ वर्ष पहले तक इस प्रकार के विषयों पर सोचा भी नहीं जाता था और आज इन सुधारों को अमली जामा पहना दिया गया है। आधुनिक उपकरणों में आत्मनिर्भरता के लिए ‘‘प्रौद्योगिकी उन्नयन’’ को जरूरी बताते हुए मोदी ने कहा कि जो उपकरण आज बन रहे हैं, उनके ‘‘आगामी, अगले संस्करण’’ तैयार करने पर काम करने की भी जरूरत है। उन्होंने कहा, ‘‘इसके लिए डीआरडीओ (रक्षा अनुसंधान एवं विकास संस्थान)के अलावा निजी क्षेत्र और अकादमिक संस्थानों में भी काम किया जा रहा है। रक्षा कॉरिडोर पर तेजी से काम चल रहा है। उत्तर प्रदेश और तमिलनाडु सरकारों के साथ मिलकर अत्याधुनिक आधारभूत ढांचा तैयार किया जा रहा है। इसके लिए आने वाले पांच वर्षों में 20 हजार करोड़ रुपये के निवेश का लक्ष्य रखा गया है।’’ प्रधानमंत्री ने कहा कि रक्षा उत्‍पादन में आत्‍मनिर्भरता को लेकर सरकार की प्रतिबद्धता सिर्फ बातचीत में या‍ फिर कागजों तक ही सीमित नहीं है। उन्होंने कहा, ‘‘इसके कार्यान्‍वयन के लिए एक के बाद एक ठोस कदम उठाए गए हैं। चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ के गठन के बाद सेना के तीनों अंगों में खरीदर पर समन्‍वय बहुत बेहतर हुआ है। इससे रक्षा उपकरणों की खरीद को आगे बढाने में मदद मिल रही है।

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