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पराली जलाने पर रोक के लिये याचिका पर न्यायालय का केन्द्र और राज्यों को नोटिस

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पराली जलाने पर रोक के लिये याचिका पर न्यायालय का केन्द्र और राज्यों को नोटिस

उच्चतम न्यायालय ने पराली जलाने पर पाबंदी के लिये दायर याचिका पर मंगलवार को केन्द्र और पंजाब, हरियाणा तथा दिल्ली राज्यों को नोटिस जारी किये। पराली जलाने से सर्दी के मौसम में राजधानी में जबर्दस्त वायु प्रदूषण हो जाता है। प्रधान न्यायाधीश एस ए बोबडे, न्यायमूर्ति ए एस बोपन्ना और न्यायमूर्ति वी रामसुब्रमणियन की पीठ ने इस मामले की वीडियो कांफ्रेंस के माध्यम से सुनवाई करते हुये पर्यावरण एवं वन मंत्रालय के साथ ही पंजाब, हरियाणा और दिल्ली को नोटिस जारी करने का निर्देश दिया। इन नोटिस का जवाब 16 अक्टूबर तक देना है। न्यायालय 12वीं कक्षा की छात्रा आदित्य दुबे और कानून के छात्र अमन बांका की जनहित याचिका पर सुनवाई कर रहा था। इस याचिका में छोटे और मझोले किसानों को पराली हटाने वाली मशीन नि:शुल्क उपलब्ध कराने का निर्देश देने का अनुरोध किया गया है ताकि भारी कण हवाा में नहीं पहुंच सकें।

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याचिका में दलील दी गयी कि दिल्ली के प्रदूषण में लगभग 40 फीसदी योगदान पराली जलाने से होने वाले प्रदूषण का रहता है। याचिका में हार्वर्ड विश्वविद्यालय के एक अध्ययन का उल्लेख किया गया है कि मामूली कोविड-19 को गंभीर संक्रमण के स्तर पर ले जाने में वायु प्रदूषण की मूख्य भूमिका हो सकती है। याचिका में कहा गया है, ‘‘अत: दिल्ली-एनसीआर में तेजी से नियंत्रण बाहर हो रहे कोविड के दौर में इस साल वायु प्रदूषण के स्तर में वृद्धि कोविड-19 के कारण नागिरकों, विशेषकर वरिष्ठ नागरिक और बच्चों, में सांस लेने में होने वाली समस्या की वजह से मृत्यु की दर मे तेजी से वृद्धि हो सकती है।’’ याचिका में दलील दी गयी है कि ऐसी स्थिति में पराली जलाने की अनुमति देने का परिणाम कोविड-19 महामारी के दौर में विनाशकारी हो सकता है। याचिका में राज्य सरकारों को सितंबर से जनवरी, 2021 के दौरान पराली जलाने से रोकने के उपाय करने और पराली निकालने वाली मशीनों के किराये की अधिकतम सीमा निर्धारित करने का निर्देश देने का अनुरोध किया गया है।

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