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बिहार में ‘सुपर फ्लॉप’ साबित हुए राहुल गांधी, 51 के उम्मीदवारों के लिए मांगे वोट, जीते महज चार
बिहार के हालिया विधानसभा चुनाव में कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी ने सात जिलों में 13 सभाएं कर 51 विधानसभा क्षेत्रों के उम्मीदवारों के लिए वोट मांगे, लेकिन जीत सिर्फ चार सीट पर ही मिली। राहुल गांधी और कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी वाद्रा दोनों नेताओं ने कुल मिलाकर दर्जनों जिलों में 21 सभाएं कीं थी, जिसमें 105 सीटों को कवर किया, परंतु जीत दर बेहद कम रही। इस चुनाव में कांग्रेस ने महागठबंधन के घटक के रूप में 61 सीटों पर उम्मीदवार उतारे थे। पार्टी सूत्रों के अनुसार राहुल गांधी ने सात जिलों में 13 जनसभाएं कीं, जिनमें 51 विधानसभा क्षेत्रों को कवर किया गया। इसके बावजूद कांग्रेस केवल चार सीटों पर ही जीत दर्ज कर सकी और राहुल गांधी की सभाओं का जीत का स्ट्राइक रेट करीब आठ फीसदी रहा। चुनाव से पहले राहुल गांधी ने राज्य में ‘वोटर अधिकार यात्रा’ भी निकाली थी, जिसमें उन्होंने 18 जिलों का भ्रमण किया। इस दौरान दो सभाओं में उनके साथ राजद नेता तेजस्वी यादव भी उपस्थित रहे। मल्लाह समुदाय को साधने के प्रयास में वे वीआईपी प्रमुख मुकेश सहनी के साथ तालाब में भी उतरे थे। पहले चरण के तहत राहुल गांधी ने 29 अक्टूबर को सकरा (सुरक्षित), मुजफ्फरपुर और राजा पाकड़ (सुरक्षित) के उम्मीदवारों के पक्ष में राजद नेता तेजस्वी यादव के साथ संयुक्त सभा की। उन्होंने 30 अक्टूबर को उन्होंने नालंदा के हरनौत, पटना के बाढ़ और लखीसराय के उम्मीदवारों के लिए प्रचार किया। दो नवंबर को बेगूसराय और खगड़िया में सभाएं हुईं, जिसमें मछुआरा समाज के लिए आयोजित संवाद कार्यक्रम में सहनी भी विशेष रूप से मौजूद थे। बीते चार नवंबर को उन्होंने औरंगाबाद, कुटुंबा और वजीरगंज में सभाएं कीं, जबकि छह नवंबर को कसबा, बनमनखी, अमौर, अररिया , मनिहारी और फारबिसगंज में प्रचार किया। सात नवंबर को अमरपुर, सुलतानगंज, भागलपुर और कहलगांव में सभाएं की गईं, जबकि नौ नवंबर को बहादुरगंज, किशनगंज और कसबा में जनसभाएं हुईं। राहुल गांधी की जिन सीटों पर सभाएं हुईं, उनमें से केवल फारबिसगंज, अररिया, किशनगंज और मनिहारी सीटों पर ही कांग्रेस को जीत मिली। इसी प्रकार कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी ने पहले चरण में बछवाड़ा और बेलदौर में सभाएं कीं। तीन नवंबर को सोनबरसा (सुरक्षित), रोसड़ा (सुरक्षित) और लखीसराय में कार्यक्रम हुए। पांच नवंबर को पश्चिम चंपारण के वाल्मीकि नगर और चनपटिया में प्रचार किया गया। छह नवंबर को रीगा, गोविंदगंज और बेनीपट्टी में सभाएं हुईं, जबकि अंतिम चरण में कदवा, बरारी और पूर्णिया में चुनावी रैलियां आयोजित की गईं। प्रियंका गांधी की सभाओं के बावजूद जीत केवल वाल्मीकि नगर और चनपटिया में ही मिली। कांग्रेस, जिसने 2020 के चुनाव में 19 सीटें जीती थीं, इस बार महज छह सीटों पर सिमट गई। पार्टी के केवल दो विधायक अररिया से आबिदुर रहमान और मनिहारी से मनोहर प्रसाद सिंह अपनी सीट बचाने में सफल रहे। कांग्रेस के बाकी सभी दिग्गज नेताओं को हार का सामना करना पड़ा। प्रदेश अध्यक्ष राजेश राम, कांग्रेस विधायक दल के नेता शकील अहमद खान और पूर्व मंत्री अवधेश सिंह समेत कई महत्वपूर्ण चेहरे चुनावी मैदान में पराजित हुए।
