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कृषि विधेयक के खिलाफ पंजाब और हरियाणा के किसान सड़कों पर उतरे

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कृषि विधेयक के खिलाफ पंजाब और हरियाणा के किसान सड़कों पर उतरे

पंजाब और हरियाणा के किसान शुक्रवार को विवादित कृषि विधेयकों को हाल में संसद से पारित करने के खिलाफ सड़कों पर उतरे। विधेयकों को वापस लेने के लिए केंद्र पर दबाव बनाने के उद्देश्य से प्रदर्शन कर रहे किसानों ने राष्ट्रीय राजमार्ग सहित सड़कों को बाधित कर दिया। बता दें कि इन विधेयकों को अभी राष्ट्रपति की मंजूरी मिलनी बाकी है। प्रदर्शनकारियों द्वारा सड़कों को बाधित किए जाने से दोनों राज्यों के आम यात्रियों को परेशानी का सामना करना पड़ा। पंजाब के किसानों ने विधेयकों के खिलाफ बुलाई गई ‘बंद’ के तहत प्रदर्शन किया। ‘‘पंजाब बंद’’ के आह्वान का सरकारी कर्मचारी संघों, गायकों, आढ़तियों, मजदूरों और सामाजिक कार्यकर्ताओं का समर्थन मिला। किसानों के समर्थन में दुकानें, व्यवसायिक प्रतिष्ठान, सब्जी मंडी और अन्य स्थान बंद रहे। दुकानदारों ने किसानों के समर्थन में दुकानें बंद रखने की अपील की थी। किसानों ने विधेयकों के खिलाफ बृहस्पतिवार को तीन दिवसीय ‘रेल रोको’ प्रदर्शन शुरू किया और पटरियों पर धरना दिया। पंजाब के मुख्यमंत्री अमरिंदर सिंह ने कहा कि राज्य सरकार विधेयकों के खिलाफ लड़ाई में पूरी तरह किसानों के साथ है और धारा 144 के उल्लंघन के लिए प्राथमिकी दर्ज नहीं की जाएगी। पूर्णतया पंजाब बंद के लिए भारतीय किसान यूनियन (भाकियू) के तत्वावधान में 31 किसान संगठनों ने हाथ मिलाया है। भारतीय किसान संगठन जो बंद का समर्थन कर रहे हैं उनमें किसान मजदूर संघर्ष समिति, कीर्ति किसान यूनियन और भारतीय किसान यूनियन के कई गुट शामिल हैं। पंजाब की सरकारी निगम पेप्सू सड़क परिवहन निगम (पीआरटीसी) की बसें शुक्रवार को सड़कों से नदारद रही। राज्य में सत्तारूढ़ कांग्रेस और विपक्षी आप ने किसानों के प्रदर्शनों को समर्थन दिया है, वहीं शिरोमणि अकाली दल ने सड़क मार्ग बाधित करने की घोषणा की है। मुख्यमंत्री अमरिंदर सिंह ने कृषि विधेयकों को पारित करने को गलत दिशा में उठाया गया कदम करार दिया है। उन्होंने ट्वीट किया, ‘‘ किसान हमारे समाज के आधार हैं और हाल में केंद्र सरकार द्वारा पारित कृषि विधेयक गलत दिशा में उठाया गया कदम है। हम मिलकर केंद्र पर किसान विरोधी विधेयकों को वापस लेने के लिए दबाव बनाएं।’’ शिरोमणि अकाली दल प्रमुख सुखबीर सिंह बादल ने मुक्तसर जिले में ट्रैक्टर चलाकर विरोध किया।

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इस मौके पर पूर्व केंद्रीय मंत्री और उनकी पत्नी हरसिमरत कौर बादल उनके साथ ट्रैक्टर पर बैठी थीं। सुखबीर सिंह के नेतृत्व में ट्रैक्टर मार्च उनके बादल गांव स्थित आवास से निकला और यह लंबी में जाकर खत्म हुआ जहां पर पार्टी ने विधेयक के खिलाफ प्रदर्शन आयोजित किया था। प्रख्यात गायक हरभजन मान और रंजीत बावा सहित कई पंजाबी गायकों ने नाभा में किसानों के प्रदर्शन में हिस्सा लिया। राज्य के कई हिस्सों में किसान सड़क यातायात रोकने के लिए जमा हुए। महिला प्रदर्शनकारियों ने अमृतसर में किसान मजदूर संघर्ष समिति के बैनर तले प्रदर्शन किया। बरनाला जिले में किसानों ने कृषि विधेयकों के खिलाफ ट्रैक्टर में आग लगा दी। पंजाब में किसानों ने संगरुर-पटियाला, चंडीगढ़-बठिंडा, अंबाला-राजपुरा-लुधियाना और मोगा-फिरोजपुर सड़क को बाधित कर दिया। क्रांतिकारी किसान यूनियन के अध्यक्ष दर्शन पाल ने बताया कि उन्हें व्यापारियों, ट्रांसपोर्टर, टैक्सी चालकों समेत कई लोगों का समर्थन मिल रहा है। इस बीच, हरियाणा में किसानों ने रोहतक-झज्जर सड़क को बाधित कर दिया। किसानों ने रेवाड़ी, यमुनानगर सहित राज्य के कई स्थानों पर प्रदर्शन किया। अधिकारियों ने बताया कि अंबाला और पानीपत रेलवे स्टेशन पर अतिरिक्त सुरक्षाबलों की तैनाती की गई है। हरियाणा में भारतीय किसान यूनियन सहित कई संगठनों ने किसान संगठन द्वारा बुलाई गई राष्ट्रव्यापी बंद का समर्थन किया है। अधिकारियों ने बताया कि राज्य में कानून व्यवस्था को बनाए रखने के लिए पर्याप्त संख्या में सुरक्षा कर्मियों की तैनाती की गई है। प्रदर्शनकारियों ने आशंका व्यक्त की है कि केंद्र के कृषि सुधारों से न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) की व्यवस्था खत्म हो जाएगी और कृषि क्षेत्र बड़े पूंजीपतियों के हाथों में चला जाएगा। किसानों ने कहा है कि जब तक तीनों विधेयक वापस नहीं लिए जाते, वे अपनी लड़ाई जारी रखेंगे। संसद ने कृषि उपज व्यापार एवं वाणिज्य (संवर्द्धन और सुविधा) विधेयक-2020 और कृषक (सशक्तीकरण एवं संरक्षण) कीमत आश्वासन समझौता और कृषि सेवा पर करार विधेयक-2020 तथा आवश्यक वस्तु (संशोधन) विधेयक को इसी सप्ताह पारित किया।

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