Connect with us

बिचौलियों के चंगुल में कृषि कार्यालय मोकामा-अनुदान भुगतान के नाम पर किसानों से 50 प्रतिशत तक वसूली जारी

Bihar

बिचौलियों के चंगुल में कृषि कार्यालय मोकामा-अनुदान भुगतान के नाम पर किसानों से 50 प्रतिशत तक वसूली जारी

पटना। पटना जिला के मोकामा प्रखंड का कृषि कार्यालय दलालों का अड्डा बन चुका है, बगैर इनकी इजाजत सरकारी कर्मचारियों की कलम नहीं चलती और किसान कृषि योजनाओं के लाभ से वंचित रहते हैं। इसकी शिकायत उच्च अधिकारियों से लेकर कृषि मंत्री और मुख्यमंत्री कार्यालय तक की गई है परंतु अब तक कोई कार्यवाई न होने से दलाल बेखौफ होकर किसानों से कृषि अनुदान/क्षतिपूर्ति में आधी रकम तक वसूल रहे हैं।

बेमौसम वर्षा से फसलों को हुए नुकसान से जूझ रहे मोकामा टाल क्षेत्र के किसानों के लिए दुविधा की स्थिति है, एक तरफ सरकार फसलों के नुकसान की क्षतिपूर्ति के लिए किसानों को अनुदान/राहत प्रदान करने की घोषणा कर रही है, सारी प्रक्रिया ऑनलाइन है वहीं दूसरी ओर अनुदान/राहत राशि प्राप्त करने के लिए किसान बिचौलियों के मानमनौव्वल में लगे हैं।

बातचीत के क्रम में स्थानीय किसान बतलाते हैं कि सरकार द्वारा घोषित किसी भी योजना का लाभ तब तक नहीं मिलता जब तक कि कृषि कार्यालय से संबद्ध बिचौलियों को तयशुदा राशि का अग्रिम भुगतान नहीं कर दिया जाता जो कि कुल अनुदान का 20 से 50 प्रतिशत तक होता है।

क्षोभ प्रकट करते हुए किसान कहते हैं कि जब कृषि कार्यालय में बैठकर बाहरी व्यक्ति पिछले 6 साल से किसानों को लूट रहा है और इसकी सूचना ऊपर तक दी गई पर कोई फर्क नहीं पड़ा फिर हमलोग क्या करें, एक तरफ खेती वैसे ही घाटे का सौदा साबित हो रहा है उसपर भी सरकार अगर कुछ सहायता देती है तो आधे तो बिचौलिए और अधिकारी लूट लेते हैं, जो तयशुदा कमीशन देने से मना करता है उसको या तो अनुदान से वंचित कर दिया जाता है अथवा थोड़ी बहुत रकम दे दी जाती है।

सरकारी योजनाओं में बंदरबाँट की स्थिति यह कोई नई बात नहीं है, परंतु शिकायत की सुनवाई न होने से स्थानीय किसान मायूस हो चुके हैं और बिचौलियों के रहमोकरम पर जो भी मिल पाता है उसे अपनी खुशकिस्मती समझते हैं।

अब देखना यह है कि स्थानीय किसानों द्वारा वरीय अधिकारियों, कृषि मंत्री और मुख्यमंत्री कार्यालय को पत्र/ईमेल द्वारा प्रेषित सूचना पर कब तक सुनवाई होती है और कृषि कार्यालय में अनधिकृत रुप से काबिज व्यक्तियों एवं बिचौलियों पर क्या कार्यवाई सुनिश्चित होती है या फिर बिचौलिए व्यवस्था पर भारी पड़ते हैं।

More in Bihar

To Top