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संविधान की आत्मा ने प्रमाणित किया है कि भारत एक है और सदैव एक रहेगा : उपराष्ट्रपति राधाकृष्णन

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संविधान की आत्मा ने प्रमाणित किया है कि भारत एक है और सदैव एक रहेगा : उपराष्ट्रपति राधाकृष्णन

उपराष्ट्रपति सी पी राधाकृष्णन ने बुधवार को सभी से ‘विकसित भारत’ के लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए मिलकर काम करने का आग्रह किया और कहा कि हमारे संविधान की आत्मा ने प्रमाणित कर दिया है कि भारत एक है और सदैव एक रहेगा। संविधान सदन (पुराने संसद भवन) के सेंट्रल हॉल में संविधान दिवस समारोह को संबोधित करते हुए राधाकृष्णन ने जनप्रतिनिधियों से आग्रह किया कि वे लोगों की उचित आकांक्षाओं की पूर्ति के लिए संवाद, बहस और चर्चा को अपनाएं। उन्होंने कहा, ‘‘लोगों के योगदान के बिना कोई भी देश ऐसे ही महान नहीं बन सकता। हमें कर्तव्यबोध के साथ अपनी-अपनी भूमिकाएं निभानी होंगी।’’ उपराष्ट्रपति ने कहा, ‘‘इस दिन हमारे शानदार संविधान के प्रति सबसे बड़ा सम्मान यह है कि हम इसके मूल्यों के अनुरूप जीवन जीने का संकल्प लें।’’ जन प्रतिनिधियों से आग्रह करते हुए उन्होंने कहा, ‘‘चाहे संसद हो या राज्य विधानसभाएं या स्थानीय निकाय, यह हमारा प्रमुख कर्तव्य है कि हम लोगों की उचित आकांक्षाओं की पूर्ति के लिए संवाद, बहस और चर्चा को अपनाएं।’’ उपराष्ट्रपति ने कहा, ‘‘हमारे संविधान निर्माताओं की इसी भावना के अनुरूप हमें अब इस अमृत काल में विकसित भारत के लक्ष्य की दिशा में काम करना चाहिए।’’ उन्होंने सभी से आह्वान किया कि वे विकसित भारत के महत्वाकांक्षी लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए रचनात्मक सोच के साथ आधुनिक तकनीकों का उपयोग करें। उन्होंने कहा, ‘‘वैश्विक स्तर पर बदलते आर्थिक और भू-राजनीतिक परिदृश्य में हम सभी को जीवन के कई क्षेत्रों में सुधारों की आवश्यकता है।’’ उन्होंने कहा कि चुनावी सुधार, न्यायिक सुधार और वित्तीय सुधार बहुत महत्वपूर्ण हैं। राधाकृष्णन ने कहा कि लोकतंत्र भारत के लिए कोई नयी अवधारणा नहीं है क्योंकि इतिहास गवाह है कि उत्तर में वैशाली जैसे स्थानों में लोकतंत्र मौजूद था, जबकि दक्षिण में चोल शासकों ने ‘‘कुदावोलाई’’ प्रणाली अपनाई थी। उन्होंने कहा, ‘‘इसलिए हम भारत को लोकतंत्र की जननी कहते हैं।’’ उन्होंने कहा, ‘‘नागरिकों के सचेत योगदान के बिना कोई भी लोकतंत्र जीवित नहीं रह सकता।’’ राधाकृष्णन ने यह भी कहा कि जीएसटी के रूप में ‘एक राष्ट्र-एक कर’ प्रणाली ने व्यापार करने में आसानी के अलावा लोगों की समृद्धि में भी वृद्धि की है। उन्होंने कहा, ‘‘इसने रातोंरात देश की जटिल बहु-कर प्रणालियों और सभी कमियों को हटाने का मार्ग प्रशस्त किया। इससे यह साबित हुआ कि सरकार को आम आदमी पर पूरा भरोसा है।’’ उपराष्ट्रपति ने इस बात पर भी प्रकाश डाला कि कैसे जनधन और आधार ने करोड़ों नागरिकों के जीवन को आसान बनाया है, जबकि प्रत्यक्ष लाभ हस्तांतरण (डीबीटी) प्रणाली ने यह सुनिश्चित किया है कि लाभ देश के सबसे दूरदराज के इलाकों में रहने वाले अंतिम व्यक्ति तक पहुंचें। उन्होंने कहा कि सरकार और लाभार्थी के बीच कोई नहीं है। उन्होंने यह भी कहा कि संविधान सामाजिक न्याय और कमजोर वर्गों के आर्थिक सशक्तीकरण के प्रति हमारी मजबूत प्रतिबद्धता को दर्शाता है। राधाकृष्णन ने कहा, ‘‘हमारा संविधान अनुसूचित जातियों, अनुसूचित जनजातियों, पिछड़े वर्गों और समाज के अन्य कमजोर वर्गों के सदस्यों के सामाजिक न्याय और आर्थिक सशक्तिकरण के प्रति हमारी मजबूत प्रतिबद्धता को दर्शाता है।’’ उपराष्ट्रपति ने कहा, ‘‘हम सभी को अपने संविधान पर गर्व है; इसमें समावेशी भावना निहित है। इसकी प्रस्तावना में न्याय, स्वतंत्रता, समानता और बंधुत्व के आदर्श यह सुनिश्चित करते हैं कि प्रत्येक नागरिक चाहे वह किसी भी जाति, पंथ, लिंग, भाषा, क्षेत्र या धर्म का हो, उसे भारत की धरती पर उचित स्थान मिले।’’ राधाकृष्णन ने कहा कि संविधान का जन्म बुद्धि, अनुभव, बलिदान, आशाओं और आकांक्षाओं से हुआ है। उन्होंने कहा, ‘‘हमारे संविधान की आत्मा ने यह प्रमाणित कर दिया है कि भारत एक है और सदैव एक रहेगा।’’ बी आर आंबेडकर, राजेंद्र प्रसाद, एन गोपालस्वामी अयंगर, अल्लादी कृष्णस्वामी अय्यर, दुर्गा बाई देशमुख और अन्य नेताओं के योगदान की सराहना करते हुए राधाकृष्णन ने कहा कि उन्होंने संविधान को इस तरह से तैयार किया कि ‘‘इसके हर पृष्ठ में हमें अपने राष्ट्र की आत्मा दिखाई देती है।’’ उपराष्ट्रपति ने दावा किया कि पिछले 10 वर्षों में 25 करोड़ गरीब लोगों को गरीबी से मुक्ति मिली है और उन्होंने इसे ऐतिहासिक उपलब्धि बताया। उन्होंने दावा किया कि डिजिटल प्रौद्योगिकी की मदद से 100 करोड़ लोगों को विभिन्न सामाजिक सुरक्षा योजनाओं के अंतर्गत लाया गया है और ‘‘हमने असंभव को संभव बना दिया है।’’ राधाकृष्णन ने यह भी कहा कि भारत में हर नागरिक, चाहे वह अमीर हो या गरीब, हमेशा लोकतंत्र को मजबूत करने में योगदान देता है और अनुच्छेद 370 के निरस्त होने के बाद जम्मू कश्मीर में चुनावों में लोगों की भारी भागीदारी ने लोकतंत्र में उनकी आस्था को दर्शाया है। उन्होंने कहा कि हाल ही में संपन्न बिहार चुनावों में मतदाताओं विशेषकर महिलाओं की बड़ी संख्या में भागीदारी एक बहुत ही अच्छा संकेत है।

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