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बॉयज लॉकर रूम मामले में सनसनीखेज खुलासा, लड़के नहीं, लड़की ने की थी गैंगरेप की बात

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बॉयज लॉकर रूम मामले में सनसनीखेज खुलासा, लड़के नहीं, लड़की ने की थी गैंगरेप की बात

विकास झा.

बॉयज लॉकर रूम… बॉयज लॉकर रूम… बॉयज लॉकर रूम… इस कथित फर्जी लॉकर रूम के नाम पर फेमिनिस्टों या कहें तो कूल ड्यूड टाइप लड़कियों या कहें तो कथित मॉडर्न वालाओं ने पिछले ४-५ दिन से हो हल्ला मचा रखा था. बॉयज लॉकर रूम का नाम लेकर बिना थके, बिना रुके ये कूल ड्यूडनियाँ पुरुषों को लगातार निशाना बनाती रहीं। शायद ही कोई गाली बची हो जो इन फेमिनिस्टों ने लड़कों को न दी हो. सीधे सीधे शब्दों में कहें तो इन्होने लड़कों का वस्त्रहरण करने में कोई कसार नहीं छोड़ी। जो मन में आया, पुरुषो को जितना जलील किया जा सकता था, किया। पानी पी पीकर लड़कों को कोसा।

लेकिन अब जब पुलिस की जांच में इस बॉयज लॉकर रूम काण्ड का भंडाफोड़ हुआ है तो इस कूल ड्यूड बालाओं तथा फेमिनिस्टों ने चुप्पी साध ली है. बॉयज लॉकर रूम का भंडाफोड़ होने के बाद कायदे में तो इन फेमिनिस्टों को चुल्लू भर पानी में तत्काल प्रभाव से डूब कर मर ही जाना चाहिए। लेकिन ये ऐसा नहीं करने वालीं क्योंकि ये फेमिनिस्ट जो हैं. लेकिन बात की गारंटी देता हूँ की अगर मैं फेमिनिस्ट होता तो इस तरह अपना भांडा फुड़वाने क बाद जरूर चुल्लू भर पानी में डूब कर मर जाता। अरे रे रे रे रे रे.. राम बचाये इन फेमिनिस्टों से.. मेरे को नहीं बनना फेमिनिस्ट। मेरे को नहीं बनना फालतू का कूल  ड्यूड।।। मैं देशी हूँ, हिन्दुस्तानी हूँ और इस बात पर मैं गर्व करता हूँ.

आपको बता दें कि इंस्टाग्राम के जिस बॉयज लॉकर रूम जिसमें लड़कियों को लेकर अश्लील बातें हो रही हैं, उस लॉकर रूम को लेकर पुलिस ने जो खुलासा किया है वो चौंकाने वाला है. बॉयज लॉकर रूम ग्रुप में लड़कियों को लेकर जो अश्लील बातें की जा रही थीं उसकी मास्टरमंद कोई और नहीं बल्कि एक लड़की ही थी. जी हाँ, एक लड़की सिद्धार्थ नाम के फर्जी अकाउंट से लड़को को अपने ही रेप के लिए उकसा रही थी. बड़ी बात ये सामने आई है कि सिद्धार्थ नाम से फर्जी अकाउंट बनाकर लड़की ने जिस लड़के को रेप के लिए उकसाया था,  उस  लड़के ने इसके लिए मना कर दिया था.  लेकिन इन फेमिनिस्टों ने बिना सच जाने ही बॉयज लॉकर रूम का रोना रोते हुए संपूर्ण पुरुष समाज को ही कटघरे में खड़ा कर दिया तथा गालियों की बौछार कर दी.

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पुलिस का कहना है कि एक लड़की ने सिद्धार्थ नाम से फेक प्रोफाइल बनाकर स्नैपचैट पर लड़कों के बीच एंट्री की थी। लड़के के मन को परखने के लिए उसने खुद के गैंगरेप का जिक्र छेड़ दिया। यह बातचीत इंस्टाग्राम पर नहीं बल्कि स्नैपचैट पर हुई थी. पुलिस के मुताबिक, ‘सिद्धार्थ’ नाम से लड़की ने एक लड़के को अपने गैंगरेप की प्लानिंग सुझाई। जिस लड़के को मेसेज भेजे गए। वह भी नाबालिग है। उसने ‘सिद्धार्थ’ के सुझाए प्लान में हिस्सा लेने से मना कर दिया और बातचीत भी बंद कर दी। उस लड़के ने चैट का स्क्रीनशॉट अपने दोस्तों के ग्रुप में भेज दिया, जिसमें वह लड़की भी शामिल थी.

सिर्फ लड़की को ही पता था कि ‘सिद्धार्थ’ नाम का प्रोफाइल काल्पनिक है जो उसने बनाया था। दोस्तों में से एक ने स्क्रीनशॉट इंस्टाग्राम स्टोरी के तौर पर पोस्ट कर दिया जहां से यह सोशल मीडिया अकाउंट्स में वायरल हो गया। जब बॉयज लॉकर रूम के बारे में दूसरों को पता चला, तो इसमें स्नैपचैट की यह बातचीत भी मिक्स हो गई। लोगों को लगा कि यह बातचीत इंस्टाग्राम की ही है. जब बॉयज लाकर रूम का यह मामला सामने आया, अचानक नारीवादियाँ फेमिनिस्ट की चेतना जाग्रत हो उठी तथा पुरुषों को जलील करने का अभियान शुरू कर दिया गया.

और अब जब इस मामले की पोल खुल गई कि ये सब खेल तो एक लड़की ने ही रचा है या ये भी संभव है कि फेमिनिस्टों ने लड़की को हथियार के तौर पर Use किया हो, तो ये फर्जी नारीवादी बालाएं ऐसा लग रहा है जैसे हड़प्पा या मोहनजोदड़ो की सभ्यता वाली गुफाओं में घुस गई हैं. अब मैं यहां इन फर्जी नारीवादियों से सवाल पूंछना चाहता हूँ कि क्या पुरुष होना कोई अपराध है? अगर ये नारीवादिया कुछ भी करें तो उनका हक़ और अगर दूसरी तरफ से कुछ भी हो तो What the Fuck.. वाऊ.. क्या उत्तम लॉजिक लगाती हैं ये फर्जी नारीवादियाँ।

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इन फेमिनिस्टों को बाबू सोना करने के लिए पुरुष चाहिए। शार्ट या लॉन्ग ड्राइव पर ले जाने के लिए भी पुरुष चाहिए, पिज्जा बर्गर खिलाने के लिए पुरुष चाहिए, मूवी दिखाने ले जाने के जाने के लिए भी पुरुष चाहिए और गालियां देने के लिए भी पुरुष चाहिए। तो इनको ये समझ लेना चाहिए कि लड़कियां निश्चित रूप से खिलौना नहीं है लेकिन पुरुष भी कोई पर्स या बटुआ नहीं है. मैं यहां पर यहां महिलाओं की खिलाफत नहीं कर रहा कर रहा हूँ बल्कि मेरा निशाना  नारीवादियाँ अर्थात फेमिनिस्ट हैं प्रताड़ना  का शिकार सिर्फ पुरुष ही नहीं बल्कि महिलायें भी होती हैं. बाकी मैं तो यत्र नार्यस्तु पूजयन्ते रमन्ते तत्र देवता की परंपरा को मानने वाला हूँ, मैं उस परंपरा का अनुयायी हूँ जहाँ बचपन से  ही ये सिखाया जाता है कि लड़कियां साक्षात् देवी का स्वरुप होती हैं.

आपको ये भी बता दूँ कि इस फर्जी बॉयज लॉकर रूम कारण एक नाबालिग बच्चे ने आत्महत्या कर ली है. अब जब इस फर्जी कांड का भांडा फूट चुका है तो ये फर्जी नारीवादियाँ उस बच्चे को वापस ला सकेंगी? दरअसल उस बच्चे पर झूठा आरोप लगाया गया था, जिसके बाद उसने डरकर सुसाइड कर लिया। खैर पहला बच्चा नहीं है जिसने इस फर्जी नारीवाद के कारण जान गंवाई हो. आकंड़े देख लीजिये, हर वर्ष फर्जी रेप केस के कारण, फर्जी छेड़खानी के आरोपों के कारण, फर्जी दहेज़  के आरोपों के कारण हर वर्ष हजारों लोग अपनी जान देते हैं. दहेज़ के मामलों में ये फर्जी नारीवाद पुरुष ही नहीं बल्कि महिलाओं को भी प्रताड़ित करता है.

अब मैं आपको कुछ वो आंकड़े बताने जा रहा हूँ जो इन फर्जी नारीवादियों की, फेमिनिस्टों की, पुरुष विरोधी मानसिकता की पोल खोलने के लिए काफी हैं. 2013-2014 के नेशनल Crime Record ब्यूरो के आंकड़ों के अनुसार, देश में रेप के 76 फीसदी मामले फर्जी पाए गए थे. महिलाओं से छेड़खानी के ७५ फीसदी मामले फर्जी पाए गए थे. दहेज़ के 98 फीसदी … जी हाँ 98 फीसदी मामले गलत पाए गए थे. दहेज़ के झूठे आरोपों के कारण करीब 11 लाख पुरुषों को जेल जाना पड़ा था. यहां ध्यान रखना जरूरी है कि ये सिर्फ पुरुष ही नहीं हैं बल्कि किसी के बेटे, पिता, पुत्र या भाई भी हैं. दहेज़ के झूठे आरोपों के कारण करीब 5 लाख महिलायें जेल गई थी. ध्यान रहे, ये सिर्फ महिलायें नहीं थी बल्कि किसी की बेटियां, माता, बहन या पुत्री भी हैं. दहेज़ के फर्जी आरोपों के कारण जेल जाने वाले सीनियर सिटीजन बच्चों की संख्या करीब 2 लाख थी. ध्यान रहे ये सिर्फ एक संख्या नहीं है बल्कि ये किसी के दादा दादी या छोटे बहन और भाई हैं.

2013-2014 के नेशनल Crime Record ब्यूरो के आंकड़ों के अनुसार, दहेज़ के आरोपों के कारण हर वर्ष 85 हजार पुरुष आत्महत्या करते हैं. झूठे रेप के आरोपों के कारण हर वर्ष १० हजार तथा छेड़खानी के झूठे आरोपों के कारण साढ़े ३ हजार से ज्यादा पुरुष आत्महत्या करते हैं. हर साल 9००० के करीब पुरुषों पर उसकी पत्नी या पत्नी के पुरुष मित्र द्वारा एसिड अटैक किया जाता है. 60 फीसदी बाल यौन दुर्व्यवहार के मामले पुरुष बच्चे होते हैं तथा 40 वर्ष से अधिक आयु की महिलाओं द्वारा किये जाते हैं. आपको बता दूँ ये आकंड़े पुलिस के रिकॉर्ड में हैं, वरना आत्महत्या के आंकड़े इससे कई ज्यादा हैं. फिर से एक बात दोहराना चाहूँगा कि ये सिर्फ आंकड़े नहीं हैं बल्कि ये किसी के पिता, भाई या पुत्र हैं.

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दरअसल बात ये है कि हमारा समाज Women Harassment पर हद से भी ज्यादा फॉकस रहा है जो करना भी चाहिए, में भी इसका समर्थन करता हूँ लेकिन जो Men Harassment होता है, उसका क्या? आखिर पुरुषों पर अत्याचार करने वालीं कथित फर्जी फेमिनिस्टों के साथ वो व्यवहार क्यों नहीं किया जाता जो उस पुरुष के साथ किया जाता है, जिस पर कोई महिला आरोप लगाती है? हमारे समाज में अब महिला शब्द फेमिनिस्टों का एक अचूक हथियार बन गया है. अगर कहीं पर महिला बनाम पुरुष होता है तो बिना जांच के लिए पहले से ही ये तय मान लिया जाता है कि गलती हर हालात में महिला नहीं बल्कि पुरुष की ही है. ऐसा प्रतीत होता है जैसे ;पुरुष होना अपराध बन गया हो. जब बॉयज लॉकर रूम का मामला सामने आता है तो दिल्ली महिला आयोग की प्रमुख स्वाति मालीवाल फेमिनिस्टों के सुर में सुर मिलकर आवाज उठाती हैं लेकिन जब पोल खुलती है कि ये कहानी एक लड़की या रची गई थी व इस कारण ये किशोर आत्महत्या कर लेता है तो फेमिनिस्टों के साथ स्वाति मालीवाल भी चुप हो जाती हैं तथा पुरुषों पर हुए इस जघन्य अत्याचार को उठाने के लिए कोई पुरुष आयोग भी नहीं है. जब भी किसी पुरुष को ये कथित फर्जी नारीवादियाँ फर्जी मामलों में फंसाती हैं तो मैं सोचता हूँ कि काश! काश कोई पुरुष आयोग भी होता जो फेमिनिस्टों के कहर से बचा पाता। भारतीय समाज का सच है कि , एक लड़की दोषी साबित होने तक निर्दोष है जबकि एक लड़का निर्दोष साबित होने तक दोषी है

अंत मैं पुरुषों के साथ ही महिलाओं से ये निवेदन करना चाहता हूँ कि पुरुषों को सिर्फ अपनी कुंठित मानसिकता के कारण प्रताड़ित मत कीजिये। वो सिर्फ पुरुष नहीं है बल्कि वो अभी आपकी तरह ही इंसान है. मैं महिलाओं से कहना चाहता हूँ कि जरा सोचिये कि अगर आपके बेटे, भाई, पिता या पति को बॉयज लॉकर रूम जैसे फर्जी कांड में फेमिनिस्ट आरोपी बनाएं व वो आत्महत्या कर ले, तो आप पर क्या गुजरेगी? एक बार उस माँ के दर्द को, पिता के दर्द को महसूस करके देखिये, उस बहन के दर्द को, उस भाई के दर्द को महसूस करके देखिये जिसने इस फर्जी बॉयज लॉकर रूम कांड के कारण अपने बेटे को, अपने भाई को खो दिया. मुझे महिला विरोधी समझा जाए, उससे पहले ही बता देना चाहता हूँ कि मैं महिला विरोधी नहीं हूँ क्योंकि मैं महिला द्वारा ही जाया गया हूँ, मेरी बहन भी है और मैं ये बात पूरी ताकत से कहता हूँ कि जो भी पुरुष किसी महिला के साथ अभद्रता करें, अश्लीलता करें, दंरिदंगी करे, उसे जितनी कड़ी हो सके, उतनी कड़ी सजा दी जाये, ऐसी सजा जिससे दोबार कोई ऐसा कुकृत्य करने की सोचने से पहले ही काँप उठे लेकिन हाँ! पुरुषों पर फेमिनिस्टों के अत्याचार को भी रोका जाये। अंत मैं फेमिनिस्टों से कहना चाहता हूँ कि पुरुषों की और गंदी नजरों से देखना बंद करो क्योंकि आपके घर में भी बाप, भाई हैं.

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